कानपुर: मनमानी, लापरवाही और जिद लील रही लोगों की जिंदगियां, डरा रहे मरने वालों के आंकड़े


पानी हमारे जीवन का सबसे महत्वपूर्ण अंग है और किसी भी नदी को इंसान के लिए लाइफलाइन कहा जाता है. यही लाइफलाइन तब जानलेवा हो जाती है, जब हम इसके साथ खिलवाड़ करने लगते हैं. हमारी लापरवाही और जिद्द अपने चरम पर चली जाती है, तब शुरू होता है इंसानों की जिंदगी के समाप्त होने का सिलसिला. ऐसा ही कुछ देखने को मिल रहा है कानपुर में, जहां नदी में डूबने वालों की संख्या सबको डरा रही है. आंकड़ों की बात करें तो मात्र 78 दिनों के अंदर 22 लोगों की मौत डूबने की वजह से हुई है.


गंगा नदी कानपुर से होकर भी गुजरती है. गंगा इस ऐतिहासिक शहर की लाइफलाइन भी है. साथ ही ये पर्यटन के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण है. चाहे बात परिवार के साथ घूमने की हो या फिर किसी त्यौहार पर गंगा स्नान की, कानपुर के लोग हर मौके पर गंगा की गोद में पहुंच जाते हैं.


इन सबके बीच दिक्कत तब आती है जब इन्हीं में से कुछ लोग लापरवाही की हद पार कर देते हैं. कानपुर में गंगा के किनारे दर्जनों घाट हैं. इसके अलावा यहां का गंगा बैराज एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल भी है. इसके साथ चेतावनी भी जुड़ी हुई है.

क्या कहते हैं आंकड़े?


कानपुर के सभी घाटों और गंगा बैराज पर प्रशासन के सख्त निर्देश है कि कोई भी व्यक्ति तय सीमा से आगे नहीं जाएगा. इसके अलावा कई जगहों पर पानी में जाने की बिल्कुल मनाही है. अनेकों चेतावनी और दर्जनों बोर्ड लगाने के बाद भी लोग गंगा के अंदर जाने से बाज नहीं आते. लगभग हर तीसरे दिन एक मौत हो रही है. ये आंकड़ा सबको डरा रहा है.


एडीएम एफ आर विवेक चतुर्वेदी के अनुसार 1 अप्रैल, 2025 से 17 जून, 2025 तक 22 लोगों की गंगा में डूबने से मौत हो चुकी है जिनको मुआवजा भी दिया गया है. इतनी मौतें मात्र 74 दिनों के अंदर हुई हैं. इसमें से ज्यादातर मौतें गंगा में डूबने से हुई हैं.


तहसीलवार मौतों का आंकड़ा


तहसीलमौतें
बिल्हौर8
सदर7
नरवल4
घाटमपुर3

कहां के कितने लोग?


अगर हम तहसील की बात करें तो 22 मौतों में से 8 बिल्हौर तहसील में, 3 घाटमपुर में, 7 सदर और 4 मौतें नरवल तहसील में हुई हैं. इन सभी मामलों में मृतक नहाने गए हुए थे और चेतावनी बोर्ड के बावजूद गहरे पानी में चले गए. इसके बाद उनको बचाया नहीं जा सका.


प्रशासन की तरफ से एक बार फिर सभी को निर्देश दिए गए हैं कि घाटों में सिर्फ वहीं तक जाएं जहां सुरक्षा जंजीर लगी है. उसके आगे जाने की अनुमति नहीं है. इसके अलावा नदी में उतरने का प्रयास बिल्कुल ना करें. उन जगहों पर बिल्कुल ना जाएं जहां जाने की बिल्कुल मनाही है.




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