दैनिक सरोकार ! बिलासपुर, छत्तीसगढ़ :
गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय (GGU) बिलासपुर इन दिनों एक गंभीर विवाद के केंद्र में है। कोटा ब्लॉक के शिवतराई गांव में 26 मार्च से 1 अप्रैल तक आयोजित सात दिवसीय एनएसएस (NSS) कैंप में 155 हिंदू छात्रों ने आरोप लगाया है कि उन्हें जबरन नमाज़ पढ़वाई गई, और धर्मांतरण के लिए ब्रेनवॉश किया गया।
क्या हैं आरोप?
छात्रों ने कोनी थाने में शिकायत दर्ज करवाई है कि—
रोज़ सुबह योग की आड़ में उन्हें नमाज़ पढ़ने के लिए मजबूर किया गया।
31 मार्च को ईद के दिन, केवल चार मुस्लिम छात्रों को मंच पर बुलाकर नमाज़ अदा करवाई गई और बाक़ी सभी से उसे दोहराने को कहा गया।
जब कुछ छात्रों ने इसका विरोध किया, तो उन्हें डराया-धमकाया गया, और कहा गया कि अगर उन्होंने सहयोग नहीं किया तो उन्हें NSS सर्टिफिकेट नहीं मिलेगा।
छात्रों ने यह भी आरोप लगाया कि मोबाइल फोन कैंप में जमा करवा लिए गए, जिससे वे कोई वीडियो या फोटो रिकॉर्ड नहीं कर सके।
किन पर लगे हैं आरोप?
छात्रों ने प्रोग्राम ऑफिसर डॉ. बसंत कुमार, कोऑर्डिनेटर दिलीप झा और अन्य स्टाफ पर धार्मिक पक्षपात और जबरन धार्मिक गतिविधियों में शामिल करने का आरोप लगाया है।
पुलिस और यूनिवर्सिटी की प्रतिक्रिया
बिलासपुर एसपी रजनेश सिंह ने पुष्टि की है कि कोनी थाने में शिकायत दर्ज की गई है और तथ्यात्मक जांच की जा रही है। उन्होंने कहा कि अपराध की पुष्टि होने पर केस दर्ज किया जाएगा।
इधर, विश्वविद्यालय के मीडिया प्रभारी एम. एन. त्रिपाठी ने बताया कि उन्हें शिकायत की जानकारी मीडिया से मिली है। विश्वविद्यालय ने तत्काल तीन सदस्यीय फैक्ट फाइंडिंग कमेटी गठित की है जो पूरी घटना की आंतरिक जांच करेगी।
वर्तमान स्थिति
घटना की पुलिस जांच जारी है।
यूनिवर्सिटी प्रशासन ने भी शिक्षकों और आयोजकों से स्पष्टीकरण मांगा है।
छात्रों और अभिभावकों में गंभीर आक्रोश है, और सोशल मीडिया पर मामला तूल पकड़ चुका है।
यह मामला अब केवल एक संस्थान का आंतरिक मामला नहीं रह गया, बल्कि यह धर्म, शिक्षा और प्रशासनिक जिम्मेदारी से जुड़ा संवेदनशील विषय बन चुका है।
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